आज़ादी की लड़ाई में रेडियो की भूमिका
भारत की आज़ादी की लड़ाई में रेडियो ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी। उस दौर में जब छपाई और संचार सीमित थे, रेडियो ही वह साधन था, जिसकी आवाज़ लाखों लोगों तक बिना किसी बाधा के पहुंच सकती थी।
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद रेडियो
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में ‘आज़ाद हिंद रेडियो’ की स्थापना की थी। इस रेडियो के माध्यम से उन्होंने विदेशी धरती से भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। उनके ओजस्वी भाषण, घोषणाएँ और देशभक्ति के संदेश भारत के कोने-कोने तक पहुँचते थे, जिससे लाखों युवा संगठित और जागरूक हुए।
2. आकाशवाणी पर राष्ट्रीय नेताओं की आवाज़
आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) ने पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों के संदेश भारतीय जनता तक पहुँचाए। ‘सावधान, दिल्ली से बोल रहा है…’ जैसे उद्घोष से जब नेताओं का संदेश पूरे देश में प्रसारित होता, तो वह लोगों में उत्साह एवं एकजुटता का संचार करता था।
3. समाचार और प्रचार का स्रोत
रेडियो के जरिए स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी खबरें, आंदोलन की जानकारी, विदेशी शासन की नीतियों की आलोचना और स्वदेशी आंदोलन का प्रचार प्रभावी ढंग से हुआ। उस समय अंग्रेजी सरकार ने भी अपना पक्ष प्रचारित करने के लिए रेडियो का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनकारियों ने उसका सकारात्मक इस्तेमाल कर आम जनमानस को जगाया।
4. जन-जागरण और एकजुटता
रेडियो ने न केवल बड़े शहरों, बल्कि गांव-गांव तक आज़ादी के विचार, आंदोलन की ख़बरें और नेताओं का आह्वान पहुँचाया। इससे देशभर में एकजुटता की भावना मजबूत हुई और स्वतंत्रता के लिए एक विराट शक्ति खड़ी हुई।

